ये दिल बेचारा ,चटोरेपन का मारा ( What are causes of Heart attack? )

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि दुनिया में सबसे ज्यादा काले बाल वाले लोग भारत में है, मतलब साफ है कि भारत में युवा पीढ़ी बाकि देशों की तुलना में ज्यादा है| ऊर्जा संसाधन ,कृषी क्षेत्र और अन्य उपलब्धि के साथ हम इसे भी एक उपलब्धि मान सकते है, पर पिछले कुछ सालों से भारत में जिस तरह से दिल के मरीजों कि संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है, वो काफी भयवह है | हैरान करने वाली बात यह हे कि युवा पीढ़ी पर भी इसका खतरा मंडरा रहा है| कोरोना काल के इस दौर में हार्ट अटैक से मरने वालों कि संख्या में काफी इज़ाफ़ा हुआ है, जिनमे कोरोना कि भी पुष्टि हुई थी | हम लोगों के साथ जो सबसे बड़ी दिक्कत हे, वो हमारे दिमाग का दिल को साथ ना दे पाना , हमारे दिमाग को हमेशा लगता है की हमे हार्ट अटैक नहीं आ सकता और जब तक दिमाग समझ पाता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है | हम सब रोज़मर्रा के काम में अपने शरीर कि छोटी-मोटी परेशानी को नज़रन्दाज कर देते है, जिसके परिणाम काफी निराशाजनक होते है | ऐसा अनुमान है की भारत में दिल कि बीमारियों कि समस्या पिछले 15 सालों में सौ फीसदी बढ़कर 2 गुना हो गई है| वैश्विक स्वास्थ्य जर्नल -द लैंसट कि रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत में दिल कि बीमारियों से मरने वालों का ग्राफ काफी बढ़ा है | भारत में ह्रदय रोग कि पहचान होने के एक साल के भीतर मरने वालों का आँकडा 23% है | वहीं दक्षिणी पूर्वी देशों में ये आँकडा 15% है , दक्षिणीअमेरिका में 9% और चीन में मात्र 5% है तो अगर हम तुलना क तो इससे साफ ज़ाहिर होता है कि भारत कि स्थति वाकई काफी भयवह है| जिसका हर्जाना हम असमय लोगों कि मौतों से चुका रहे है |

पिछले कुछ सालों के आकड़ों कि अगर बात करे तो भारत में एक तिहाई लोग हॉस्पिटल में भर्ती करने के दौरान और एक चौथाई लोग बीमारी कि पहचान के एक महीने के भीतर अपनी जान गवाते है | दुनिया में लगभग 25-26 करोड़ लोग ह्रदय कि किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हे जिनमे से 5.7% भारत में है |यह सभी आकडे एक खतरनाक भविष्य कि ओर इशारा कर रहे है | हम लोग अपनी स्वास्थ्य प्रणाली कि खस्ता हालत और सरकार के झूठे – सच्चे वादों से भली भाती वाकिफ है| और निजी अस्पतालों कि लुट तंत्र, जिसकी मार एक मध्यम वर्गीय परिवार हमेशा से झेलता आया है| और फिर इस लुट तंत्र कि कही पर सुनवाई न हो पान, एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए दोहरी मार के समान है | ह्रदय संबधि यह बीमारी वंशज भी होती है पर एक मात्र यही कारण नहीं हे , अगर हम गौर करे तो देखेंगे अपनी भाग दौड़ भरी ज़िंदगी, जिसमे थकना मना , कुछ इस तरह के विज्ञापनों ने हमारे समाज को एक मौत के घाट पर ला कर खड़ा कर दिया है ,जिसमे सकुन और शांति का कही नाम ही नहीं है, हे तो बस “थकना मना है ” | हमारी तनावपूर्ण दिनचर्य ,वक़्त बे वक़्त खाना और खाने में खूब मसाले दार पकवानों का होना भी कम जिम्मेदार नहीं है इन सभी बीमारियों के |

स्मार्ट फोन जिसकी वजह से हम लोग दिन प्रति दिन आलसी होते जा रहे है, और व्यायाम से हम लोग कितना दूर हो चुके है ये आप सभी खुद भी जानते ही होंगे | डिजिटल दुनिया ने हमे अगर फायदे दिए हे तो नुकसान भी कम नहीं दिए है | इन सभी बातों का सुनना हमारे जीवन में आम है , और कमाल कि बात यह है कि हम सभी इन सभी बातों को जानते भी है , पर हमारी समझ में यह सभी बाते तब आती है जब काफी देर हो चुकी होती है |हमारा चिकित्सा तंत्र हमे सर्जरी के नाम पर पक्के इलाज का आशवसन तो देता है पर ये कभी नहीं बताता है कि अगर आप अपनी दिनचर्य में थोड़ा सा बदलाव करेंगे तो आप इन सभी घातक बीमारियों से खुद ही बच सकते है | पर हम लोग चटोरे लोग हे और अपनी आदत से मजबूर भी | हम वही मसालेदार खाना खाएगे और दिल के साथ साथ अन्य बीमारियों को भी पालेंगे तो फिर क्या करे ये दिल बेचारा, चटोरेपन का है मार |